Ham Abstract

भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको)

एल्यूमिनियम सदन, कोर – 6, स्कोप कार्यालय परिसर, लोदी रोड, नई दिल्ली – 110003

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Ham Abstract

स्थायी आजीविका मॉडल के माध्यम से स्थानीय समुदाय को सशक्त बनाते हैं

बालको स्मार्ट तकनीक के माध्यम से ऊर्जा दक्षता, सुरक्षा और सतत विकास को बढ़ावा दे रहा है। कोरबा में यह नवाचार और समुदाय सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्ध है, और पर्यावरण संरक्षण में उद्योग के लिए नए मानक स्थापित कर रहा है।

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प्रशिक्षण प्राप्त युवा

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युवा, वित्तवर्ष 2024 में हुए सशक्त

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किसान लाभान्वित

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जल भंडारण क्षमता (घन मीटर में)

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कृषि में संभावनाओं की नई शुरुआत

हमारे कई आस-पास के समुदायं की अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका बेहद अहम है। सतत जीवनयापन को सुनिश्चित करने के लिए मोर जल मोर माटी परियोजना की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य सस्टेनेबल खेती और जल प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा देना है। अपने तीसरे चरण में पहुँचते हुए इस योजना ने 5000 से अधिक लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है और 40 गांवों के 85 प्रतिशत से अधिक किसान परिवारों को इसका लाभ मिला है।

यह परियोजना एक समग्र कृषि दृष्टिकोण अपनाती है, जिसका उद्देश्य मौजूदा संसाधनों के माध्यम से सतही जल प्रबंधन को बेहतर बनाना, सिंचाई की सुविधाओं को विकसित करना और किसानों को आधुनिक कृषि विधियों जैसे सिस्टमेटिक राइस इंटेंसिफिकेशन (एसआरआई), ट्रेलिस खेती और जैविक खेती की जानकारी और प्रशिक्षण देना है। साथ ही यह पहल मोटे अनाज कोदो एवं रागी और मूंगफली एवं सुगंधित धान जैसी जलवायु सहनशील फसलों को बढ़ावा देकर वर्षा पर निर्भरता कम करने की दिशा में भी काम कर रही है।वेदांता एग्रीकल्चर एंड रिसोर्स सेंटर (वीएआरसी) को किसानों के लिए एक समग्र सहायता केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है, जहाँ उन्हें प्रशिक्षण के साथ-साथ आवश्यक कृषि सामग्री और संसाधनों का समर्थन प्रदान किया जाता है।

जल संचयन और बहुफसली खेती को प्रोत्साहित करने के लिए परियोजना के तहत 143 जल संरचनाएं विकसित की गई हैं, जिनमें सामुदायिक तालाब, चेक डैम और कुएं शामिल हैं। इन संरचनाओं के माध्यम से कुल 2 लाख घन मीटर जल भंडारण क्षमता तैयार की गई है। इससे मिट्टी में नमी की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और भूजल स्तर स्थिर बना हुआ है, जिससे कृषि पारिस्थितिकी तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और साल भर खेती की संभावनाएं सुलभ हुई हैं।

आजीविका विविधीकरण के दृष्टिकोण से परियोजना ने पशुपालन, बागवानी और लाख उत्पादन (गैर-लकड़ी वन उत्पाद) को भी शामिल किया है, जिससे किसानों को पूरे वर्ष आय प्राप्त करने के अवसर मिलते हैं।

परियोजना खेती प्रथाओं के संस्थानीकरण पर विशेष ध्यान देती है, जिसके अंतर्गत ग्राम विकास समितियों (वीडीसीएस) का गठन और कोरबा कृषक उन्नयन प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (केकेयूपीसीएल) की स्थापना की गई है, जो एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के रूप में कार्यरत है। इसने कृषि के लिए एक सशक्त व्यापार मॉडल विकसित करने में मदद की है, जिसमें एफपीओ ने स्थानीय किसानों को सहयोग प्रदान करने के लिए इनपुट और आउटपुट व्यापार केंद्रों की स्थापना की है।

सतत सफलता सुनिश्चित करने के लिए परियोजना विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ तालमेल बनाती है और उन्हें प्रभावी ढंग से उपयोग करती है। जैसे कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, और छत्तीसगढ़ राज्य सौर सुजल योजना। साथ ही यह सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देती है जिसमें खेत तालाबों, खुदाई वाले कुओं, मुर्गी और बकरियों के शेड, मिट्टी की बंधाई, तथा एसआरआई और सिंचाई उपकरणों की स्थापना जैसी गतिविधियों में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित की जाती है।

यह परियोजना बायफ डेवेलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से क्रियान्वित की जा रही है।

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बालको ने आधुनिक कृषि तकनीकों पर केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाया है। विभिन्न पहल के अंतर्गत बीज, खाद, बाड़बंदी, मृदा परीक्षण और समय-समय पर तकनीकी सहायता जैसे इनपुट समर्थन प्रदान किए गए हैं। परिणामस्वरूप लगभग 50 प्रतिशत किसानों ने सिस्टेमेटिक राइस इंटेंसिफिकेशन (एसआरआई), ट्रेलिस व जैविक खेती तथा जलवायु अनुकूल फसल पद्धतियों जैसी उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाया है। इन प्रयासों से किसानों की पैदावार में 1.3 से 1.4 गुना तक वृद्धि हुई है, जिससे औसतन 50 प्रतिशत की आय बढ़ोतरी और 25-30 प्रतिशत तक खेती की लागत में कमी आई है।

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जलवायु अनुकूल फसल पद्धतियाँ

बालको ने किसानों को जलवायु अनुकूल फसल पद्धतियाँ अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिसमें कोदो और रागी जैसे मिलेट्स, मूंगफली तथा सुगंधित चावल की खेती शामिल है। इन फसलों ने किसानों की आय में 20 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि सुनिश्चित की है। यह नवाचार आधारित पहल किसानों की वर्षा पर निर्भरता को कम करते हुए टिकाऊ कृषि प्रणाली को बढ़ावा देती है।

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बहुफसली खेती

बालको की सहायता से 2000 किसानों ने रबी सीजन में दूसरी फसल लेना शुरू किया है, जिसमें गेहूं, मूंगफली, सरसों और सब्ज़ियाँ शामिल हैं। सिंचाई सुविधा, तकनीकी मार्गदर्शन और इनपुट समर्थन के माध्यम से यह पहल क्षेत्र में बहुफसली खेती को बढ़ावा देने में सफल रही है।

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बागवानी

बालको ने 125 एकड़ भूमि पर 250 वाड़ी (फलदार बग़ीचे) विकसित किए हैं, जिन्हें अंतर्वर्ती फसलों (इंटरक्रॉपिंग) के साथ एक दीर्घकालिक सतत आजीविका मॉडल के रूप में तैयार किया गया है। यह विविधीकृत कृषि मॉडल किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करते हुए टिकाऊ खेती को प्रोत्साहित करता है।

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पशुपालन के माध्यम से आजीविका में विविधता

बालको ने किसानों की आय में विविधता लाने के उद्देश्य से बकरी, मुर्गी और मत्स्य पालन से जुड़े किसानों को तकनीकी और सामग्री आधारित सहयोग प्रदान किया है। इस सहयोग में प्रशिक्षण, मुर्गी पालन हेतु चूजे, बकरी यूनिट्स तथा मछली बीज की उपलब्धता शामिल है। निरंतर निगरानी और मार्गदर्शन के माध्यम से इन किसानों ने टिकाऊ पशुपालन मॉडल विकसित किए हैं, जिससे उन्हें प्रति वर्ष औसतन ₹52,000 की अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है।

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जल संरचनाओं के माध्यम से जल संरक्षण में वृद्धि

बालको ने 28 जल संरचनाएँ विकसित की हैं (25 कृषि, 2 पक्के लाइनिंग और 1 सामुदायिक जलाशय शामिल हैं), जिससे कुल जल भंडारण क्षमता 38,726 घन मीटर तक पहुँच गई है। इस पहल ने सिंचाई की सुविधा को सुदृढ़ करते हुए जल की उपलब्धता बढ़ाई है और क्षेत्र में बहुफसली खेती को प्रोत्साहन मिला है।

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किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से संगठित कृषि व्यवस्था का निर्माण

बालको ने 800 से अधिक किसानों के साथ एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना को बढ़ावा दिया है। इस संगठन ने इनपुट और आउटपुट व्यापार केंद्र स्थापित कर ₹20 लाख का वार्षिक कारोबार और ₹7 लाख की इक्विटी पूंजी अर्जित की है, जिससे किसानों को संगठित, टिकाऊ और लाभकारी कृषि की दिशा में सशक्त किया गया है।

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लाख की खेती

गैर-लकड़ी वन उत्पादों को बढ़ावा देने के तहत बालको ने 800 से अधिक किसानों को लाख उत्पादन का प्रशिक्षण एवं आवश्यक सहायता प्रदान की है। यह पहल आजीविका के साधनों में विविधता लाने तथा वनों पर आधारित पारंपरिक आय स्रोतों को भी पुनर्जीवित किया है। लाख उत्पादन से किसान औसतन प्रतिवर्ष ₹50,000 की अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं।

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मिट्टी की मेड़बंदी

बालको की मेड़बंदी पहल से किसानों को काफी लाभ हुआ है। इस प्रयास से खरीफ मौसम में खेतों की जल-धारण क्षमता बढ़ी है और रबी मौसम के लिए मृदा में नमी संरक्षित रही है, जिससे फसल उत्पादकता में सुधार हुआ है।

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वेदांता एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर (वीएआरसी)

एफपीओ के अंतर्गत स्थापित वीएआरसी किसानों के लिए एक समग्र तकनीकी सहायता केंद्र के रूप में कार्य करता है। केंद्र में हाइड्रोपोनिक्स जैसी नवाचार तकनीकों को अपनाया गया है, जिसके माध्यम से टमाटर, धनिया, पालक और ब्रोकली जैसी फसलें उगाई जा रही हैं। इससे विशेष और प्रीमियम बाजार फसलों की खेती को भी बढ़ावा दिया गया है। एक वर्ष में वीएआरसी ने 31 से अधिक फसलों की खेती कर 93 क्विंटल का कुल उत्पादन प्राप्त किया है।

रोजगार हेतु सक्षम युवा

भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए एक कुशल कार्यबल की आवश्यकता है। इस विकास को बनाए रखने के लिए युवाओं का सक्षम होना अत्यंत आवश्यक है। छत्तीसगढ़ के कोरबा क्षेत्र में 60 प्रतिशत से अधिक युवा पारंपरिक और कम आय वाले अस्थिर कार्यों में संलग्न हैं। इस आवश्यकता को समझते हुए बालको ने छत्तीसगढ़ के कोरबा, सरगुजा और कवर्धा क्षेत्रों में तीन वेदांता स्किल स्कूल स्थापित किए हैं, जो ग्रामीण युवाओं को निःशुल्क आवासीय व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं और उन्हें उचित व स्थिर रोजगार अवसरों से जोड़ते हैं।

प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) की दिशा-निर्देशों के अनुरूप तैयार किया गया है जिसमें छह प्रमुख ट्रेड शामिल है वेल्डर, फिटर, हॉस्पिटैलिटी, सिलाई मशीन ऑपरेटर, सोलर पीवी तकनीशियन और इलेक्ट्रीशियन। अब तक इन केंद्रों के माध्यम से 12,000 से अधिक युवाओं को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया जा चुका है। अकेले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1,241 युवाओं को प्रशिक्षण, प्लेसमेंट और स्व-रोजगार के माध्यम से सशक्त किया गया है। इन युवाओं को अडानी, वोल्वो आयशर, बारबेक्यू नेशन और टाटा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में रोजगार मिला है।

अपनी उत्कृष्ट कार्यक्षमता के लिए मान्यता प्राप्त करते हुए, कोरबा केंद्र को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएसी) द्वारा संचालित स्किल मैनेजमेंट एंड एक्रेडिटेशन ऑफ ट्रेनिंग सेंटर्स (स्मार्ट) कार्यक्रम के तहत 5-स्टार रेटिंग से सम्मानित किया गया है, जिससे इसे छत्तीसगढ़ के सबसे उत्कृष्ट केंद्रों में स्थान मिला है। इस उपलब्धि से हमारी विश्वसनीयता बढ़ी, जिससे सरकार और निजी क्षेत्र के साझेदारों का विश्वास और समर्थन प्राप्त हुआ है। इसके परिणामस्वरूप एमएमकेवीवाई, नाबार्ड, स्किल इंडिया इम्पैक्ट बॉन्ड और जनरेशन इंडिया जैसी कई योजनाओं के तहत सहयोग और साझेदारी की संभावनाएं उत्पन्न हुई हैं।

यह परियोजना वर्तमान में सोशल एम्पावरमेंट एंड इकोनॉमिक डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स) के सहयोग से क्रियान्वित की जा रही है।

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